कहती हो बहुत सी अच्छाई है हम में ll
तो खराबी क्या है हम में ll
फिर क्यूं न लड़े हमारे लिए जमाने से ll
इसका जवाब तुम्हारे पास क्यों नहीं है ll
दिन-रात ख्वाब बस तुम्हारा देख ll
भुल गई क्या अपना वादा या ,
भूल गई हमें दिल से चाहना ll
जिस किसी ने मोहब्बत का नशा किया ll
उस नशे से बढ़कर ,
फिर कोई नशा नहीं किया ll
हमने बेइंतेहा चाहा तुम्हे ll
फिर क्यों तुमने भरे बाजार ,
मेरी इश्क का कीमत लगा दिया ll
मेरे इस हंसी चेहरे को देखकर कहते हैं लोग ,
वो देखो एक और इश्क का बीमार ,
आज बाजार (महफिल) में आ गया ll
❤️❤️मेरी इश्क रिंकी ❤️❤️
लेखक:– शिवम् जी सहाय