उसने मुझको इतना काटा,
जितना काटा जा सकता था,
फिर भी इक इंसान के दिल को,
कितना काटा जा सकता था,
थका नहीं फिर भी लेकिन वो,
उसकी कोशिश जारी है,
मेरा भी दिल, दिल है यारो,
अबकी अपनी बारी है,
उसने सोचा
'सच है, ठीक है'
'जो भी उसने उसने सोचा'
सारी गलती हमारी जिम्मेदारी है
थका नहीं फिर भी लेकिन वो,
उसकी कोशिश जारी है,
मेरा भी दिल, दिल है यारो,
अबकी अपनी बारी है,
----अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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