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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अबकी अपनी बारी है - अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'

उसने मुझको इतना काटा,
जितना काटा जा सकता था,
फिर भी इक इंसान के दिल को,
कितना काटा जा सकता था,

थका नहीं फिर भी लेकिन वो,
उसकी कोशिश जारी है,
मेरा भी दिल, दिल है यारो,
अबकी अपनी बारी है,

उसने सोचा
'सच है, ठीक है'
'जो भी उसने उसने सोचा'
सारी गलती हमारी जिम्मेदारी है

थका नहीं फिर भी लेकिन वो,
उसकी कोशिश जारी है,
मेरा भी दिल, दिल है यारो,
अबकी अपनी बारी है,

----अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Lekhram Yadav said

क्या बात है सर जी इश्क की पिच पर छकका लगा रहो लेकिन ये तो बाउंड्री पर कैच हो गया और भले ही बारी आपकी हो आपके दिल को हमने अपने दिल से मिला ही लिया है, जय श्री राम।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

जय श्री राम यादव सर क्या करें बॉउंड्री पर हर बार कैच कर लिया जाता हूँ - दुआओं में याद रखें क्या पता कभी बॉउंड्री लग ही जाए सादर प्रणाम नमन वंदन

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत खुबसूरत लिखा भय्या, एक एक लफ़्ज़ दिल को छू गया और खुश कर गया बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत... कोटि कोटि प्रणाम आपको और आपकी इस प्रस्तुति को...

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार इतनी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए Mam, प्रणाम स्वीकार करें जानकर हर्ष हुआ कि रचना आपको पसंद आयी

Keshav Atri said

Waah...bhai .sach kha abke apni baari h.👏👏👏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

धन्यवाद केशव जी आपकी समीक्षा से जान वापस लौटकर आरही है

Krishna Dubey said

उसने मुझको इतना काटा, जितना काटा जा सकता था, फिर भी इक इंसान के दिल को, कितना काटा जा सकता था, har line m ek dard hai. Bahut sundar likha mitra

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

धन्यवाद मित्र आपने इस दर्द को समझा तो सही मुझे तो लगा था कोई समझने वाला ही नहीं है आपका बहुत बहुत आभार

Arpita pandey said

Nahi accha likha hai aapne Sadar naman

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार सादर प्रणाम Mam

Arpita pandey said

bahut accha likha hai aapne Sadar naman First word nahi it's My mistake 🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार सादर प्रणाम Mam

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Jun 03, 2024 | डायरी | मनीषा  | 👁 857,783
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