Geet:- Laj Lajave re, Laj Lajave re, Laj Lajave.
लाज लजावे रे, लाज लजावे रे, लाज लजावे
Lalit Dadhich
लाज लजावे रे, लाज लजावे रे।
लाज लजावे।।
घूमर घूमर देख नखराली,
घूमर घूमर देख नखराली,
सारा दिन क्यों शर्मावे रे,
लाज लजावे रे,लाज लजावे रे,
लाज लजावे।
घूमर घूमर देख नखराली,
घूमर घूमर देख नखराली,
कानों में झुमका लहरावे रे,
लाज लजावे रे, लाज लजावे रे,
लाज लजावे।
घूमर घूमर देख नखराली,
घूमर घूमर देख नखराली,
कंगना खनके,
पैरा री पायल नाच नचावे,
लाज लजावे रे, लाज लजावे रे,
लाज लजावे।
घूमर घूमर देख नखराली,
घूमर घूमर देख नखराली,
सारी रात करवट बदल बदल जगावे रे,
लाज लजावे रे, लाज लजावे रे,
लाज लजावे।
बालम मारा पैर रखें,
धोरा री धरती पर,
बालम मारा पैर रखे,
धोरा री धरती पर,
प्यास मारी उड़ गई,
हवा भरी सेज पर,
उड़ती उड़ती थारे सीने में,
उड़ती उड़ती थारे सीने में,
आ गई ठंडी फुहार बनकर,
प्यास बुझी थारा हिवड़ा की
चैन मिल्यों मारी धरती पर,
याद याद कर तू रो जावें,
याद याद कर तू रो जावें,
नैन मारा पछतावे,
लाज लजावे रे, लाज लजावे रे,
लाज लजावे।।
घूमर घूमर देख नखराली,
घूमर घूमर देख नखराली,
रग रग में दुखड़ों आवे रे,
लाज लजावे रे , लाज लजावे रे,
लाज लजावे।
बालम मारा खेता में,
स्वेद बह रह्यो अंग पर,
साड़ी मारी भीग गई,
थारी मेहनत की सेज पर,
बात बात पर तू रुक जावे,
बात बात पर तू रुक जावे,
एकटकी बागा की निहार बनकर,
जैसे-जैसे धान उग उग आवे,
जैसे-जैसे धान उग उग आवे,
वो पहला मिलन संवाद बड़ो सतावे,
लाज लजावे रे, लाज लजावे रे,
लाज लजावे।
घूमर घूमर देख नखराली,
घूमर घूमर देख नखराली,
काजल क्यारी तीर चलावे,
लाज लजावे रे, लाज लजावे रे,
लाज लजावे।
बालम मारा मेला में,
श्रृंगार देखें मारा रूप का,
बिंदिया, चूड़ी देख प्रेम में,
होठों से चुप हो जावे,
लाज लजावे रे, लाज लजावे रे,
लाज लजावे।
घूमर घूमर देख नखराली,
घूमर घूमर देख नखराली,
सांँसों में शबनम आवे रे,
लाज लजावे रे, लाज लजावे रे,
लाज लजावे।
बालम मारा साइकिल पर,
गीत सुर में गावे रे,
टायर पंक्चर हो गह्यो,
टायर पंक्चर हो गह्यो,
दुख सुख इसमें भर जावे,
मारा हिवड़ा की पीड़ा भी,
भारी करें टायर की सेज ने,
देख बालम टायर ने,
सन्न रह गया हवा में,
लाज लजावे रे, लाज लजावे रे,
लाज लजावे,
जिधर जिधर थारा पैर पड्या,
उधर उधर मारा नया जन्म हुआ,
कांटा भी शर्मा कर आधा अधूरा फूल हुआ,
दुखड़ा भी सारा दिन रो-रोकर अंधेर विभा में सुख हुआ,
नैना ने थारा भ्रम हुआ,
सपना में सब कर्म हुआ,
लोक लाज भूल,
सब तरफ धर्म हुआ,
हथेली में सब देव बसें,
हथेली में सब देव बसें,
धीरे-धीरे धीर बढ्या,
तब भगवन् बस जावे रे,
लाज लजावे रे,
लाज लजावे रे,
लाज लजावे।
जपता जपता महल बनें,
तब भगवन् के पैर पड़े,
धीरे-धीरे सब रूप गढ्या,
सारा जग मिलकर प्रेम बनें,
तब आनंद सफर हो जावे रे,
लाज लजावे रे,
लाज लजावे रे,
लाज लजावे।।
- ललित दाधीच