इन्सान को जन्म देने वाला खुदा है मौत देने
वाले कातिल सिलसिला जारी हुआ
ज़िंदगी जीने केलिए अब कातिल से खरीदना
होगा यह इस युग की बात है साहब
वे कौन लोग होंगें जो जीवन खरीदेगा है
कोई जहान में जो बताए हमें ए वसी
यही एक राज़ है पोशीदा जो जान कर भी
हम नहीं बताएंगे सारे जहान को
दरवेश है जो बताने की क़ीमत नहीं लेता
मेहनत करके खाते औरों को खिलाते
गर बता दूं तो कर नहीं पाएंगे ज़ुबान खाली
लौटना अच्छा नहीं समझता है वसी
ज़रूरत परने पर मदद मांगा है नेक परवर
से के आते ही लौटा देगा यह बंदा
खाने केलिए नहीं कोई काम करने या
कहीं सफ़र पर जाने केलिए मांगा है
है मगर एक बात उतना मांगा है जो एक
रोज़ मज़दूर की मजदूरी मिलती है
हमें जीने की तमन्ना अब नहीं मौत मांगा है
खुदा से अबतक आया नहीं है
कौन है जो हमारा जान ले ले हम हैं कि
ज़िंदगी खरीदने वालों में नहीं हैं
झूठ, गिबत वो हराम खोरी आम होगई
इस राह में चलना मिजाज़ नहीं मेरा
वसी अहमद क़ादरी
वसी अहमद अंसारी
दरवेश ! कवि ! लेखक


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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