मेरी आँखो से गुजरने वाले गुजर गए।
बच गये दम भरने वाले दर-बदर गए।।
ना कोई हमदर्द जो मदद का दम भरे।
हम शहर गए वो किसी और शहर गए।।
दूर-दूूर तक नजर ना आए नजर वाले।
नजर उतारते 'उपदेश' बेजार कर गए।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
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हम शहर गए वो किसी और शहर गए।।
दूर-दूूर तक नजर ना आए नजर वाले।
नजर उतारते 'उपदेश' बेजार कर गए।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद