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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

कसम

💐सुविचार💐

आप चाहे किसी भी परिस्थिति में क्यों ना हो?
कभी भी खुद को सही साबित करने के लिए
मां-पापा,ईश्वर या अन्य किसी की कसम मत खाना।
क्योंकि लोगों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता
आपकी कसम से,
आप कसम खाकर भी कभी उन लोगों को
अपनी सत्यता का प्रमाण नहीं दे सकते जो अहंकारी हो।
आपके कसम खाने के बाद भी गलत आप ही को
समझा जायेगा,
तो ऐसे लोगों के लिए उनकी कसम क्यों खाना
जो आपके जीने की, हॅंसने, मुस्कुराने की वजह है।
बाकी तो जिन्हें आप पर विश्वास है
उन्हें कसम की कभी ज़रूरत नहीं पड़ती,
उन्हें पता है कि आप क्या है और क्या नहीं।
एक पहचान ये भी है अपने और पराये की
जो आपसे कसम माॅंगे वो अपना नहीं,
और जो अपना है वो कभी कसम खाने
देगा नहीं।

💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

सुभाष कुमार यादव said

सच कहा आपने। 👌👌🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपका 🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

क्या खूब लिखा है —
"कसम वो नहीं जो ज़ुबान पर आए,
कसम तो वो है जो अपनों को निभाते हुए खुद-ब-खुद जी ली जाए।"

विश्वास का जो ये सच आपने लिखा, वो हर दिल में उतर गया। 🙏✨
इस सीख के लिए बहुत बहुत आभार आपसे माफ़ी चाहते हुए आगे से ऐसा न करने का वादा करते हैं
आदरणीय को सादर प्रणाम

रीना कुमारी प्रजापत replied

😊😊 शुक्रिया आपका, 🙏 दिल की अनंत गहराइयों से कोटि कोटि प्रणाम 👏👏👏"कसम वो नहीं जो ज़ुबान पर आए, कसम तो वो है जो अपनों को निभाते हुए खुद-ब-खुद जी ली जाए।" 👌👌वाह ये बहुत खूबसूरत एहसास है

वन्दना सूद said

बहुत सही लिखा आपने 👌👌👏👏सुंदर भाव

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks di

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