💐सुविचार💐
आप चाहे किसी भी परिस्थिति में क्यों ना हो?
कभी भी खुद को सही साबित करने के लिए
मां-पापा,ईश्वर या अन्य किसी की कसम मत खाना।
क्योंकि लोगों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता
आपकी कसम से,
आप कसम खाकर भी कभी उन लोगों को
अपनी सत्यता का प्रमाण नहीं दे सकते जो अहंकारी हो।
आपके कसम खाने के बाद भी गलत आप ही को
समझा जायेगा,
तो ऐसे लोगों के लिए उनकी कसम क्यों खाना
जो आपके जीने की, हॅंसने, मुस्कुराने की वजह है।
बाकी तो जिन्हें आप पर विश्वास है
उन्हें कसम की कभी ज़रूरत नहीं पड़ती,
उन्हें पता है कि आप क्या है और क्या नहीं।
एक पहचान ये भी है अपने और पराये की
जो आपसे कसम माॅंगे वो अपना नहीं,
और जो अपना है वो कभी कसम खाने
देगा नहीं।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




