जियो अपनी ज़िंदगी – अपनी सोच, अपनी पहचान
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यह जीवन आपका है, और आपका अधिकार है कि आप इसे अपने अंदाज़ और अपनी शर्तों पर जिएं। इसका पहला नियम यही है कि कभी भी स्वयं को किसी और की नज़र से मत देखें। लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, यह उनके विचारों का प्रतिबिंब है, आपके व्यक्तित्व का नहीं।
स्वयं को समझने और स्वीकारने का साहस रखिए। अपनी सोच को हर बाहरी राय से ऊपर रखिए, स्वयं से प्रेम करना सीखिए और अपने विचारों व भावनाओं का सम्मान कीजिए।
दूसरों के विचार सुनें, समझें, पर अपना दृष्टिकोण भी स्पष्ट रूप से रखें। "हाँ" और "ना" दोनों का महत्व पहचानें और उनका प्रयोग आत्मविश्वास से करें। किसी प्रभावशाली व्यक्तित्व के सामने स्वयं को छोटा समझना या अपनी आवश्यकताओं की अनदेखी करना सबसे बड़ी भूल है।
हर व्यक्ति में गुणों का भंडार होता है, बस ज़रूरत होती है उन्हें पहचानने और निखारने की। जो अपनी क़ीमत समझ लेता है, वह कभी हारता नहीं। और जो जीवन की अहमियत को जानकर भी अनदेखा करता है, उसका आना-जाना समय के अंधेरे में खो जाता है।
हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि हम गुमनामी में न खोएं, बल्कि ऐसा कुछ करें जो हमें हमारे जाने के बाद भी यादगार बनाए रखे। इसके लिए समय की क़द्र करें, अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखें और "आज" में जीना सीखें।
अत्यधिक उम्मीदें केवल तनाव लाती हैं। इसलिए अपेक्षाओं को सीमित करें, शांत मन और स्पष्ट सोच के साथ समस्याओं का समाधान खोजें। याद रखिए – यह ज़िंदगी आपकी है। इसे कैसे जीना है, यह निर्णय भी आपका है।
तो जिएं पूरे आत्मविश्वास, प्रेम और अपने अनूठे अंदाज़ में।
क्योंकि जब तक आप हैं, तब तक यह ज़िंदगी है; आप नहीं, तो इसकी कोई परिभाषा नहीं।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद