पतंग और जीवन
पतंग को आज़ादी से उड़ने देना
न इसकी डोर अपनी है
न इसकी उड़ान से अपनी पहचान है
यह पतंग की अपनी उड़ान है
उसे अपनी उड़ान भरने देना ..
पतंग को अपना वजूद ढूँढने देना
न बाँधना इसे अपनी ममता की डोर से
न बाँधना इसे अपने संस्कारों के बन्धनों से
यह पतंग की अपनी उड़ान है
उसे अपनी उड़ान भरने देना..
पतंग को अपनी दिशा जाने देना
ममता की डोर से ढील दी तो और दूर चली जाएगी
सख्ती की डोर से खींचा तो कट कर कहीं गिर जाएगी
यह पतंग की अपनी उड़ान है
उसे अपनी उड़ान भरने देना..
पतंग को गले लगाना है तो उसे ज़मीन पर उतरना होगा
उसके बढ़ते कदमों को रोकना होगा
अपने कर्तव्यों को भूल भावनाओं में बहना होगा
पतंग न आज किसी की है,न कल किसी की थी और न ही यह कल किसी की होगी
हर पतंग की यह अपनी उड़ान है
उसे उसकी उड़ान भरने देना ..
वन्दना सूद