
राही बन गुज़रते हैं हम,कितनी ही राहों से
कुछ नए दोस्त बन जाते हैं उन्हीं राहों पे
ऐसे ही गुज़रते बन गए मेरे कई नए दोस्त
उनसे मिलने की चाह ने मेरी राह ही बदल दी
उनकी दोस्ती ने वक़्त से आगे चलने की आदत डाल दी ।
उस राह पर एक नहीं अनेक पेड़ मेरे दोस्त बनें
मुझे देखते ही उनका मुस्कुरा कर लहराना
तेज गरमी में ठण्डी-ठण्डी हवा से सहलाना
बारिश में मेरे लिए छत बन जाना
दिल को छू गया उनका निस्वार्थ दोस्ती निभाना
तो दोस्ती में हमने भी सुख-दुख कुछ उनका जाना
किसी ने कहा मैं बहुत छोटा हूँ,
अभी संसार नहीं देखा मैंने
कोई अपने पत्तों को और फूलों को सुंदर बताता है
किसी ने अपने को मज़बूत और लम्बा कहा
कोई कहता है मैं सबको धूप से बचाता हूँ
धरती पर आए हम तुम्हारे लिए,
नहीं काटने देना हमें,
हम भी जीना चाहते हैं तुम्हारी तरह
उनका हर शब्द दर्द बनकर आँखों से मेरे बहने लगा ,
कैसा यह मंज़र जीवन देने वाला
ख़ुद जीने के लिए जीवन दान माँग रहा ..
----वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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