अपनों की छाँव का भ्रम
आज अपनों की छाँव दिखती तो है,
पर उसकी छाया में धूप सी तपिश महसूस होती है।
काँटों सा चुभन देती है,
सूरजमुखी के फूल सा मन
जो मोह वश सूरज के संग घूमता चला जाता है।
अपनों की छाँव दिखती है तो सही,
पर बस एहसास में ही सुकून देती है।
वन्दना सूद
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