तन्हा तो नही,
मगर जेहन में तन्हाई है।
छांव तुम्हारी चाहती,
मगर सूरज की गरमाई है।
जिन्दगी का तजुर्बा कम,
याद की भंवर में गहराई है।
पीपल उगाना चाहती मन में,
बस दुविधा की अंगड़ाई है।
सुना है पीपल कहीं भी उगाता,
उसके स्वरूप में प्रेम की झाँई है।
सवालों की उथल-पुथल 'उपदेश',
जिसने मेरी भावना उलझाई है।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद