सोम अर्थात् चंद्र देव जी
मंगल अर्थात् हनुमान वीरा जी
बुध अर्थात् प्रथम पूज्य गणेशा जी
गुरु अर्थात् विष्णु भगवान जी
शुक्र अर्थात् माता लक्ष्मी जी
शनि अर्थात् शनिदेव जी
रवि अर्थात् सूर्यदेव जी
मनोरम दृष्टि से व्यापक
सरस स्वरों में ढले
सिर्जनहारें
पालन-पोषित करते है
अपनी हर एक रचना को
हर दिन..
_______मनीषा सिंह