थमी थमी सी जिंदगी
थमी थमी सी ज़िंदगी,
और हवा ए सनम,
कच्चे कच्चे रास्तों में,
पक्के पक्के कदमों की गति,
और तुम गिरे,
फिर उठे,
हर जगह चोट सी लगी,
रोते-रोते पलकों ने जो तुम्हें रोका है,
रोते-रोते पलको ने जो तुम्हें रोका है,
फिर देखो थमी सी हंँसी,
हांँ हंँसी हांँ हंँसी,
धीरे-धीरे दिल में बसी,
और इतनी सी है हंँसी,
हंँसी, हंँसी हांँ हंँसी,
गिरते ,उठते, चलते ,भगते
रुके रुके से पांँव है,
पांँव है पांँव है पांँव है,
फिर भी चलने की है गति,
गति, गति, हांँ गति,
कभी-कभी धीमे से,
कभी-कभी तेजी से,
थके थके आसमाँ को देखें,
और फिर चलने लगे,
ये कोशिश भी है सही,
हाँ सही, सही, सही,हाँ सही,
चुप-चुप सी आवाजों में,
मौन प्रेम की है गति,
दो बूंद जिंदगी की,
दो बूंद जिंदगी की,
जाने क्या है हंँसी खुशी,
और फिर रोने की है आरजू,
कैसे जिंदगी जीने मरने को चली,
और मैं धीरे से बुलाऊं वो आने को है अड़ी,
इतनी लय और गति फिर भी क्यों जिंदगी है खड़ी,
कैसे जोड़ू इसकी कड़ी,
थमी थमी सी जिंदगी,
और हवा ए सनम।।
- ललित दाधीच