तुम अपनी घोर निद्रा से उठो और हमको वैसे ही पुकारो हमेशा की भांति खूब चिल्लाओ तुमको हम सब नाराज होते थे अब कभी कुछ नही बोलेंगे तुम एक बार आ जाओ बस
हमारी पुकार सुन कर
अब हमसे नही रहा जाता
तुम्हे देख लूं एक बार तुम इतने
निर्मोही भी नहीं थे की भाई की वो करुण पुकार जो अपने भईया को बुला रहे है बहन तुम्हे जगा रही राखी की कीमत मांग रही आज मां का धैर्य समाप्त हो गया उनके आंखों के आंसू जो तुम्हे भीगा रहे है उनकी करुण पुकार उनके चेहरे की शिकन टूट चुके सपने जीवन की लालसा और तुमसे मिलन की राह
और टूट गई तुम्हारी आवाज सुनने की चाह
तुम्हे गलें लगाने की आश
तुम्हे फिर से गोद में खिलाने की आंचल के नीचे छुपाने की अपने जीवन के सहारे की और तुम से मिलने की सारी उम्मीदें
कर रहे हैं हम सब तुम्हारा इंतजार फिर से रहे हैं तुम्हे पुकार
सुन लो हमारी ये अंतिम पुकार
यही है हमारी अंतिम पुकार
लेखक शुभम तिवारी