हमने भी बहती गंगा में, हाथ धो लिए..
ज़माना जिधर गया, हम साथ हो लिए..।
हम पे ज़माने का, कुछ भी बाकी नहीं..
एहसान चुका दिये, जब भी जो लिए..।
जब तक साथ था तुम्हारा, तो बात जुदा थी..
बगैर आपके बस, वक्त कांधों पर ढो लिए..।
हमने बड़े दिल से दिल की बात कही थी मगर..
जिसने सुना वो हंस दिया, हम जाने क्यूं रो लिए..।
वो आँखें थी, समंदर की मिसाल लिए हुए..
तैरने वालों ने जान के, दिल अपने डुबो लिए..।
-पवन कुमार "क्षितिज"