हमारी तहज़ीब में नहीं बगावत करना,
इसलिए अपना सर झुकाएं हैं,
जिनसे मुख़ातिब होना है हमारी शान के खिलाफ़,
उन्हें भी सर आंखों पर बिठाएं हैं,
इस ज़माने से कह दो कि यूं छेड़े ना हमें,
वरना हम भी दिखाएंगे कि इस मोम की सूरत में
कितने आग छिपाएं हैं..!
✨कमलकांत घिरी.✍️