मुझे उड़ने दो ना
क्यों मेरे परों को काटने की कोशिश में लगे हो ?
मुझे चलने दो ना
क्यों मुझे ज़ंजीरों में जकड़े हो ?
ज़िंदगी भर तो आप मेरा साथ निभा नहीं सकते,
फिर क्यों मुझे अपने पैरों पर खड़ा होने से
रोके हो ?
मुझे दुनियां देखने दो ना
क्यों मुझे घर में बंदी बनाए हो ?
मुझे अपने ख़्वाब पूरे करने दो ना
क्यों मेरी ख़्वाहिशें मार रहे हो ?
ज़िंदगी भर तो आप मेरा साथ निभा नहीं सकते,
फिर क्यों मेरी कला मुझसे छीन रहे हो ?
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐