हसीं वादियों में रूहे जो फ़ना हुई।
मांग रही है जवाब खता क्या हुई।
बात नही कि एफबी पर लड़ पड़े।
निकल पड़ते बड़ा सा हुजूम लिए।
देश है हमारा जो हक से कह रहे।
मासूम खूनी वादियों से विदा हुए।
बोलते हिन्दू बचाव में आगे आए।
जरूरी है आप चूड़ियां पहन चले।
बात ये सुरक्षा भार जिसने लिया।
कब पूछोगे जबाब में क्या मिला।
कब तक गाली गलौज आपस मे।
क्या चाहते जनता जंग लीड करे।
घर के कोने में मोमबत्ती लगा रहे।
जो दम बताए प्रतिकार कर चले।
निर्भया की शहादत में हिले कभी।
कब देखेंगे अब आत्मा हिल पड़े।