नफरतों की आग में लोग जल रहें हैं ।
जो कल तक थे दोस्त
वो आज़ दुश्मन बन गए है।
बारूद की ढ़ेर पर दुनियां बैठी है
हवा ये कैसे बारूदी चल पड़ी है।
हर तरफ़ चीत्कार
जलजलें उठ रहें हैं ।
किसको मनाए कोई
जब अपनें हीं रूठ रहें हैं।
नफरतों की आग में लोग जल रहें हैं..
हर तरफ़ विरानियां
अजीब सी खामोशियां
बस भूखे प्यासे
लोग बिलख रहें हैं।
हताशा और परेशानी लिए
तील तील भटक रहें हैं
नफरतों की आग में लोग जल रहें हैं..
क्या सोच कर रब ने ये जहां बनाया
क्या बदले में उस खुदा को
लोग दे रहें हैं।
अल्लाह के बंदे बन शाजिशें कर रहें है।
इस नगर उस डगर
सिर्फ़ शमसान जल रहें हैं।
नफरतों की आग में लोग जल रहें हैं..
क्या ये मुमकिन नहीं सब मिल कर रहें
सुख दुःख सभी मिल बांट कर सहें
तो सोचों दुनियां की तस्वीर क्या होगी।
हर तरफ़ सुख शांति सौहार्द तब कायम होगी।
दुनियां ये खूबसूरत..
इसकी खूबसूरती और बढ़ेगी..
खुदा के इस जहां में सिर्फ़ और सिर्फ़
तरक्की बरक्कत होगी।
क्या होगा इन नफरतों से
इन चित्कारों इन वहशीपनो से
जब सब एक दिन अपने आप खत्म हो जाना है।
कहो कहां कब किसको यहीं रहना है
है यह मृत्युलोक यहां सब नष्ट हो जाना है
यहां सब खत्म हो जाना है..
सो सब बनो समझदार
बनो मानवता का वफादार
करो खुद का उद्धार
करो मानवता का सम्मान
यही है सबके लिए अनिवार्य
तब होगें सबके सपने साकार
ये दुनियां बनेगी एक परिवार
ये दुनियां होगी सबके लिए एक
मेरे यार.....
ये दुनियां होगी सबके लिए एक मेरे यार..

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




