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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मत डरना समंदर की लहरों से-ताज मोहम्मद

निशानियाँ कयामत की आती ही रहेंगीं।
पर रहमते खुदाई जिन्दगियाँ पाती ही रहेंगीं।।1।।

मत डरना समंदर की लहरों से मजधार में।
मौतें जिन्दगियों को यूँ ऐसे डराती ही रहेंगीं।।2।।

खुदा तुझको भी रहमत से महरूम ना रखेगा।
बुरे वक्त में माँ की दुआएं तो जाती ही रहेंगीं।।3।।

क्या तूमने जी है जिंदगी मजलूमों की तरह।
ये दिक्कतें ही ज़न्नत में घर बनाती ही रहेंगीं।।4।।

मत कर हिसाब किताब दुनियाँ में लोगों से।
ये वक्ती परछाइयां हैं आती-जाती ही रहेंगीं।।5।।

मत करना तुम दोस्तों से मिलना जुलना बंद।
ये शामे-ए-महफिलें तुझको हँसाती ही रहेंगीं।।6।।

गुरुर ना करना ज़िंदगी में पाने पर सब कुछ।
ये सितारों की रोशनियां हैं जो जाती ही रहेंगीं ।।7।।

ये मोहब्बत-ए-वतन है सरहद पर जवानों की।
तुम सोते रहो सुकूँ से जानें तो जाती ही रहेंगीं।।8।।

बना ले तू सफर को मुकम्मल खुदा की राह में।
वरना जहन्नम की आगें ताउम्र जलाती ही रहेगीं।।9।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

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Lekhram Yadav said

अति सुन्दर रचना पेश की है आपने ताज भाई।

ताज मोहम्मद replied

आपका बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी।

रीना कुमारी प्रजापत said

उत्कृष्ट रचना

ताज मोहम्मद replied

धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

मत डरना समंदर की लहरों से मजधार में। मौतें जिन्दगियों को यूँ ऐसे डराती ही रहेंगींBahut khoob Taj sahab umda prastuti

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया भाई जी।

फ़िज़ा said

बहुत खूब ज़नाब, उत्तम रचना

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया शुक्रिया।

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