निशानियाँ कयामत की आती ही रहेंगीं।
पर रहमते खुदाई जिन्दगियाँ पाती ही रहेंगीं।।1।।
मत डरना समंदर की लहरों से मजधार में।
मौतें जिन्दगियों को यूँ ऐसे डराती ही रहेंगीं।।2।।
खुदा तुझको भी रहमत से महरूम ना रखेगा।
बुरे वक्त में माँ की दुआएं तो जाती ही रहेंगीं।।3।।
क्या तूमने जी है जिंदगी मजलूमों की तरह।
ये दिक्कतें ही ज़न्नत में घर बनाती ही रहेंगीं।।4।।
मत कर हिसाब किताब दुनियाँ में लोगों से।
ये वक्ती परछाइयां हैं आती-जाती ही रहेंगीं।।5।।
मत करना तुम दोस्तों से मिलना जुलना बंद।
ये शामे-ए-महफिलें तुझको हँसाती ही रहेंगीं।।6।।
गुरुर ना करना ज़िंदगी में पाने पर सब कुछ।
ये सितारों की रोशनियां हैं जो जाती ही रहेंगीं ।।7।।
ये मोहब्बत-ए-वतन है सरहद पर जवानों की।
तुम सोते रहो सुकूँ से जानें तो जाती ही रहेंगीं।।8।।
बना ले तू सफर को मुकम्मल खुदा की राह में।
वरना जहन्नम की आगें ताउम्र जलाती ही रहेगीं।।9।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




