याद करता हूँ बचपन तब की बात और।
बोझा लादे आज के बच्चों की बात और।।
छोटी जेबों में मोटी फीस सम्हाले हुए है।
कपड़े की जगह लंच बॉक्स की बात और।।
घर में बिखरे खिलौनों को समेटकर रखते।
कबड्डी की जगह वीडियो गेम्स की बात और।।
कभी-कभार माँ को पढाते टीचर की तरह।
अंग्रेजी में बोले खेले 'उपदेश' की बात और।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद