एक लड़की पार्क में थी मैंने पास में बुलाया
मैं आइसक्रीम खा रहा था उसे भी आइसक्रीम खिलाया
पार्क में इस तरह उसका मेरा आना जाना चलता रहा
वह मुझ से बोलती रही मैं उस से बोलता रहा
उसे देखते देखते वह और सुंदर दिखने लगी
मेरे मन के भीतर भी वह अच्छी लगने लगी
एक दिन वह बोलते बोलते बोल पड़ी
उसने तो मुझ से कर दी एक बात बहुत बड़ी
तुम यार कितने अच्छे लड़के हो
तुम तो मेरे मां बाप से भी बड़के हो
उसने ये बात क्या कही
मेरी तो खुशी की सीमा ही न रही
मैंने सोचा उसको बना कर रहूंगा वाइफ
अच्छी खासी होगी उसकी मेरी लाइफ
मगर कमबख्त दूसरे दिन मेरे पास राखी ले कर आई
मेरे हात में राखी बांध बोल पड़ी मेरे अच्छे भाई
मेरे हात में राखी बांध बोल पड़ी मेरे अच्छे भाई.......
----नेत्र प्रसाद गौतम