या तो तुम मुझे अपना बना लेते,
या मेरे ही कुछ बन जाते !!
अजीब से हालात हैं अब,
ना तो हम शजर के हुए
और ना ही हम सहरा के हुए !!
तुम अगर शीशा होते और हम,
अगर पत्थर-दिल भी होते तो !!
चकनाचूर कर देते तुम्हारे
हर अक्स और नक्स को,
कितना अजीब है ना कि
तुम कभी शीशा ही हुए,
और ना हम कभी पत्थर ही हुए !!
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है