अब तो बस कर दूर न जा....!
मैं चल कर तेरे पास आया हूं...!
कितने अपने छूट गए हैं...!
कितनों को मैं छोड़ आया हूं...!
अब तो बस कर दूर न जा....!
मैं चल कर तेरे पास आया...!
कितनी आंखें नम बैठी है....!
कितने आंसू पोछ़ आया हूं...!
कितने दुख वहीं पड़े हैं....!
कितनों को मैं रोक आया हूँ...!
अब तो बस कर दूर न जा....!
मैं चल कर तेरे पास आया हूं...!
मुट्ठी मेरी बंद पड़ी है...!
इसमें देखो क्या लाया हूं....!
इसको तू अब खोल के देख...!
कितनी खुशियां साथ लाया हूं...!
अब तो बस कर दूर न जा....!
मैं चल कर तेरे पास आया हूं...!
Pranjulbaiswari✍️