हे केशव बिना अस्त्रो के मुझे युद्ध में उतारो ना
बताओ मेरा गांडीव कहाँ
किस पर प्रत्यंचा चढाऊं मैं
है सामने दुर्योधन संग
अक्षोहिणी सेना के
कैसे निशाना लगाऊं मै
जाने कहाँ है रथ मेरा
किस ओर सर पट दौडाऊं मैं
सभी तो है प्राण प्रिय कहों
अपने बाणों से किसके प्राण
हर लाऊँ मै
तुम्ही बताओ केशव इस विजय मे क्या हार निहित नहीं है
मै हारा तो तेरी भी विजय निहित नहीं है
करता हूँ करबद्ध निवेदन
युद्ध में बिना अस्त्रो के मुझे उतारो ना
✍अर्पिता पांडेय