पता नहीं कैसे आज मेरी आँखों ने तेरी जुल्फों को देखा है,
या मेरी नजरों ने आज आसमान में काली घटा देखी है,
लूट गया जिसने भी तेरी अदा, झुकी नजरों देखी हैं,
कशिश भरे अपने चेहरे को अब मुझ से ना छिपाना,
मुद्दतों बाद इस मरीज ने एक दवा देखी है,
----धर्म नाथ चौबे मधुकर