बहुत देर तक आज तुमसे बातें हुईं,
हर लफ़्ज़ में जैसे कुछ सौग़ातें हुईं।
नज़रें तो देखीं नहीं थीं कभी,
मगर दिल की धड़कन में हर बातें हुईं।
तुम हंसी तो लगा ज्यूँ बहार आ गई,
बिना मौसम के यूँ बरसातें हुईं।
वो पल जब तुम चुप हुईं, कुछ कहा भी नहीं,
मगर खामोशियों में मुलाक़ातें हुईं।
तुम जो बोलीं — दिल ने वही सुन लिया,
जैसे दिल से दिल की इबादतें हुईं।
अजीब-सा एहसास तुमसे मिला,
नज़रों से बिन देखे मोहब्बतें हुईं।
मुझे खुद से पहले तुम्हारा ख़्याल आया,
ये कैसी दिल में हलचलें, हरारतें हुईं।
मैंने चाहा कह दूँ — मगर रुक गया,
शायद मोहब्बत की ये शरारतें हुईं।
तुम पढ़ो तो समझ सको — यह ग़ज़ल तुम्हारे लिए,
इन अशआर में बस तुमसे ही मुलाक़ातें हुईं।
'आर्द्र' के लफ्ज़ों में बस तेरा ही नाम बसा,
जैसे इन ग़ज़लों में तेरी ही साजिशें हुईं।
अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




