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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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कविता की खुँटी

                    

वो लम्हा जब तुमसे बातें हुईं - अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'

बहुत देर तक आज तुमसे बातें हुईं,
हर लफ़्ज़ में जैसे कुछ सौग़ातें हुईं।

नज़रें तो देखीं नहीं थीं कभी,
मगर दिल की धड़कन में हर बातें हुईं।


तुम हंसी तो लगा ज्यूँ बहार आ गई,
बिना मौसम के यूँ बरसातें हुईं।

वो पल जब तुम चुप हुईं, कुछ कहा भी नहीं,
मगर खामोशियों में मुलाक़ातें हुईं।


तुम जो बोलीं — दिल ने वही सुन लिया,
जैसे दिल से दिल की इबादतें हुईं।

अजीब-सा एहसास तुमसे मिला,
नज़रों से बिन देखे मोहब्बतें हुईं।


मुझे खुद से पहले तुम्हारा ख़्याल आया,
ये कैसी दिल में हलचलें, हरारतें हुईं।

मैंने चाहा कह दूँ — मगर रुक गया,
शायद मोहब्बत की ये शरारतें हुईं।


तुम पढ़ो तो समझ सको — यह ग़ज़ल तुम्हारे लिए,
इन अशआर में बस तुमसे ही मुलाक़ातें हुईं।

'आर्द्र' के लफ्ज़ों में बस तेरा ही नाम बसा,
जैसे इन ग़ज़लों में तेरी ही साजिशें हुईं।


अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (12)

+

ललित दाधीच said

❤️❤️"मगर दिल की धड़कन में बात हुई" क्या पंक्ति है मतलब लोग दिल के लिए बातें करते थे, दिल से बात करते थे, दिल में रहकर बात करते थे लेकिन आपने दिल की धड़कन में बात की है, ये ही तो बात " बहुत गजब लिखा है। इश्क़ का आखिरी हिस्सा आपने अपनी रचना में बांध लिया है ❤️❤️

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka hraday se abhar evam Saadar Pranam Adarneey 🙏🙏

कमलकांत घिरी said

बहुत खूबसूरत गज़ल आर्द्र सर छा गए आप बिल्कुल इस बरसात के बादल की तरह👌👏😁💐✍️ आपको सादर प्रणाम 🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

समीक्षा के लिए बहुत बहुत आभार - आपको सादर प्रणाम आदरणीय कांत सर जी

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना। प्रिय का साथ पाने या होने के भावों का सुंदरतम वर्णन। उन मधुरतम पलों का प्रस्तुतिकरण अत्युत्तम। सादर प्रणाम पचौरी सर।🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय यादव सर जी को सादर प्रणाम सहित समीक्षा के लिए बहुत बहुत आभार - आपकी नियमित प्रतिक्रियाएं आगे बढ़ने और बेहतर लिखने में सहायक एवं प्रेरणा का कार्य करती हैं

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत ख्याल और मुलाकात के लिए बधाई, बहुत खूबसूरत रचना, सुप्रभात सहित सादर नमस्कार सर।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय यादव सर जी को सादर प्रणाम सहित समीक्षा के लिए बहुत बहुत आभार अपने व्यस्ततम समय में से रचना एवं पटल को समय देने के लिए हृदय से आभारी हूँ

श्रेयसी said

जैसे इन ग़ज़लों में तेरी हीं साज़िशे हुईं। वाह-वाह क्या ख़ूब कहा आपने बहुत सुंदर लाज़वाब रचना 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय श्रेयषी Mam, को सादर प्रणाम सहित बहुत बहुत आभार, आपकी समीक्षा प्रेरित करती हैं उससे ज्यादा आपकी रचनायें

वन्दना सूद said

लाजवाब गज़ल अशोक जी 👌👌👏👏🙌🏻🙌🏻

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय Mam, को सादर प्रणाम सहित बहुत बहुत आभार

सुप्रिया साहू said

बहुत खूबसूरत एवं लाज़वाब रचना सर 👌👌,“नज़रें तो देखीं नहीं थीं कभी,मगर दिल की धड़कन में हर बातें हुईं” हर एक पंक्ति दिल को छू गई💖, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय Mam, को सादर प्रणाम सहित बहुत बहुत आभार

Ankush Gupta said

तुम पढ़ो तो समझ सको — यह ग़ज़ल तुम्हारे लिए,
इन अशआर में बस तुमसे ही मुलाक़ातें हुईं।, बहुत खूब लिखा श्रीमान आशा है जिनके लिए ये ग़ज़ल लिखी है उन्होंने पढ़ी भी होगी और आपका सन्देश उन तक पंहुचा भी होगा अध्भुत प्रेम से परिपूर्ण ग़ज़ल

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka Abhaar Adarneey Gupta Ji

प्रभाकर said

बहुत खूब जैसे शब्दों से अपने कोई भावनाओं की मूरत उतारी है और हम उसे देख रहे हैl👌👌

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Adarneey Prabhakar Sir ji ko Saadar Pranam Sahit Bahut Bahut Abhaar evam Abhivaadan

Kapil Kumar said

Sundar rachna prem ka anokha bayan

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Adarneey Kapil ji ko Saadar Pranam Sahit Bahut Bahut Abhaar

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह! मोहब्बत की वो गहराई जब केवल दिल से दिल की बातें होती है, केवल एहसासों से एहसासों की मुलाकातें होती है। निश्छल निर्मल मासूम कोमल भावनाओं से ओत-प्रोत श्रंगार की खूबसूरत कविता। एक प्रेम जिसमें समर्पण है, त्याग है और इसके सिवा कुछ नहीं। उम्दा रचना।सादर अभिनन्दन।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय सोनवानी सर जी को सादर प्रणाम सहित सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार

रीना कुमारी प्रजापत said

मैंने चाहा कह दूँ — मगर रुक गया,
शायद मोहब्बत की ये शरारतें हुईं।... कह देना चाहिए था लेकिन कोई बात नहीं, काम तो बन ही गया बिना कहे ही😀😀 बहुत सुंदर ग़ज़ल.....दिल में घर कर गई🙏दिल से प्रणाम

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