गिलहरी कितनी अच्छी है
इधर उधर देखती है
कभी वह दौड़ती है
कभी पेड़ पर चढ़ती है
कभी घर पर आती है
खाना दो तो खाती है
फिर वह जाती है
मन को बहुत भाती है
बड़े शान से चलती है
उछलकूद करती है
बड़ी अच्छी न्यारी है
देखने में भी प्यारी है
देखने में भी प्यारी है.......
----नेत्र प्रसाद गौतम