कहीं दूर बहती हवाओं में ताज़गी तेरी
यादों की है।
कल तक थी जो तेरे बदन की खुशबू
वर्षों बाद भी वैसी हीं है।
आहटें तेरे होने की ठीक वैसे हीं हैं
जैसे तू दबें पांव आती थी और पकड़ी जाती थी।
छुवन तेरी मखमली हाथों की दुःख दर्द
मेरी सब हर लेती ।
दिल पर जो तू एक बार हाथ रख देती
बढ़ी धड़कनें भी संभल जाती।
काश ऐसा हो जाता मेरे रब्बा झम से वो
कहीं से आ जाती।
टूटे दिल के धागों को फिर वो जोड़ देती।
अब तक बैठा है दिल जिसकी चाह में
वाह मेरे संग प्रणय सूत्र में बंध जाती।
मेरे घर आंगन महका जाती।
गीत खुशी की गा जाती।
वह जिंदगी में मेरी आ जाती..
वह गीत खुशी की गा जाती...