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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कल कल करती नादियां-ताज मोहम्मद

कल कल करती नादियां,,,
चीं चीं करती चिड़ियां,,,
भंवरे का पुष्प पे गुंजन करना,,,
ये सब मन को मोह लेते है।।

पीहू का पपीहा,,,
कोयल का कू कू करना,,,
मेघा का गरज कर घुमड़ना,,,
ये सब हृदय को जोड़ लेते है।।

मस्जिद से आती आजानें,,,
मंदिर में घंटियों की आवाज़ें,,,
त्यौहारों में मेले की दुकानें,,,
ये सब अपनी ओर मोड़ लेते है।।

बचपन में ननिहाल,,,
शादी के बाद ससुराल,,,
जवानी में जिंदगी के हालात,,,
ये सब मनुष्य गौर से जीते है।।

साधु का व्यवहार,,,
मनुष्य का सदाचार,,,
जीवन में संस्कार,,,
ये सब किसी को दोष ना देते है।।

प्रीतम की प्रेम इच्छा,,,
समय की प्रतीक्षा,,,
गुरु की दीक्षा,,,
ये सब मन के होश में करते है।।

किस्मत की मार,,,
अपनो की दुत्कार,,,
समाज से बहिष्कार,,,
ये सब मनुष्य को तोड़ देते है।।

कालियों का सूर्य प्रकाश में खिलना,,,
हरी घास में ओस की बूंदों का चमकना,,,
पर्वतों से झरने का गिरना,,,
ये सब प्रकृति को ओढ़ लेते है।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

रमेश चंद्र said

आपने इतना अच्छा लिखा कि हमें प्रकृति से जोड़ दिया बहुत अच्छे

ताज मोहम्मद replied

धन्यवाद।

Bhushan Saahu said

हमें नदियों का भी इतना ही ख्याल रखना जितना हम अपने घर कि चीजों का रखते है बहुत सुंदर रचना है

ताज मोहम्मद replied

आपने सत्य बात बोली कोशिश यही होनी चाहिए। धन्यवाद।

Amit Shrivastav said

नदिया हमें बिना रुके चलना सिखाती हैं हर परिस्थिति में अपना रास्ता बनाना सिखाती हैं इसलिए हमें नदियों को हमेशा ही सर्वश्रेष्ठ स्थान देना चाहिए बहुत अच्छा कहा आपने

ताज मोहम्मद replied

बिल्कुल सही कहा आपने। धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Pranam 🙏🙏 Salaam Taaj Saahab bahut umda rachna...

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया भाई जी।

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