वर्तमान परिवेश में
जीना है दुश्वार
जिनके हाथ में है डंडा
उनकी ही हथकंडा
आमलोगों की मखौल
उड़ाते ये अपराधी इन
लोगों की कौन पूछे
अफसरशाही भी सांझ- सवेरे
दम हिलाते रोज घटना
बलात,अपहरण,लूट,डकैती
हत्या को अंजाम देते ये
अपराधी समाज के ये डॉन
कहलाते डर के मारे लोग
इनकी सलामी करते
कमजोर लोगों को ये सताते
अपनी बराबरी की बिरादरी
से न टकराते
जहां भी लुटते ये अपराधी
स्त्रियों के अस्मत के प्यासे
हो जाते नंगा करके मन में
गंगा बहाते ऐसे परिवेश
में गरीब असहाय कमजोर
भला कहां जाएं जहां कानून
बनाने वाले तंत्र ही उनके
तलवे सहलाने में लग जाते हो....
----डोबीश वरेकर

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




