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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

जीने के लिए

जीने के लिए
कोई पल ढूंढ लें

उलझनों में फंसी
कोई हल ढूंढ लें

अवसरों का जो "कल"
हमसे छूट गया

आज भी अवसरों का
वो "कल" ढूंढ लें।


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

वन्दना सूद said

बहुत सुंदर 👌👌👏👏

Updesh Kumar Shakyawar said

वाह..लाजवाब

पवन कुमार "क्षितिज" said

बहुत बढ़िया 👌

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वंदना जी, उपदेश जी,पवन जी सहृदय आभार

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah Kal shabd ka bharpoor uchit upyog karke Rachna ki sundarta m 4 chand laga diye hain...Adarneey ko Sadar pranam

Lekhram Yadav said

बहुत खूब, जरूर ढूंढिए और हमें भी बताईए दीजिए, आपको सादर नमस्कार

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

सर जी, मेरी पोती,3 साल की,धमकाती है कि मेरे लिए फ्रूटी और चाकलेट लाओ नहीं तो आपके साथ कभी खाना नहीं खाऊंगी,बस, क्या करूं, उसकी सारी शर्तें माननी पड़ती है,यही वो पल होता है जिसे शिद्दत से जीता हूं।एक वो पल भी होता है जब आपकी प्रतिक्रिया मेरी रचना के लिए पढ़ता हूं,मन ही मन खुश होता हूं। धन्यवाद जी! नमस्कार!!

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

अशोक जी सादर आभार, समीक्षा के लिए!

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