रात चली गई
अंगड़ाई भरो पंखों में
खुले आसमान
इंतजार कर रहे हैं
पांव जम के रखना
नीड़ के बाहर
ऊंचे अरमान
इंतजार कर रहे हैं
कारवां बनेगा
शुरू करो उड़ना
साथी, मेहरबान
इंतजार कर रहे हैं
उंच नीच मौसम का
खुशियां और ग़म का
रखना है मान
इंतजार कर रहे हैं
पहुंच कर गंतव्य में
हासिल जो भी हो
करना मनोमान
इंतजार कर रहे हैं
जैसे निकले थे
वैसे ही चले आना
नीड़ की जान
इंतजार कर रहे हैं।।
सर्वाधिकार अधीन है