प्रकृति का दोहन, वन्य जीवों की पुकार।
जंगल काटे जा रहे, खतरे में है संसार।
पेड़ पौधे कम हो रहे, जीव जंतुओं का घर।
वन्य जीवों की संख्या घट रही, खतरे में संसार।
वन्य जीवों का प्रेम असीम, विलुप्त की राह संगीन।
दो जून का भोजन पाकर,माँ प्रकृति को बचाकर।
चित्रण स्वयं प्रभु का,ना करो अस्तित्व विलीन,
प्रकृति रूहू का,शेर हाथी गिद्ध वानर, चिंकारा।
प्रभु प्रकृति का है अजब नज़ारा,
है ये उस चित्रकार की रचना ।
नामुमकिन हैं , जिनकी विवेचना करता मनुष्य,
जिन पर समस्त चिकित्सीय ज्ञान शोध।
शुद्ध हवा और पानी, जीवन के लिए जरूरी।
प्रकृति का संतुलन, बनाए रखना है जरूरी।
वन्य जीवों की रक्षा, हमारा है कर्तव्य।
प्रकृति का संरक्षण, हमारे लिए है आवश्यक।
जंगल काटना बंद करो, वन्य जीवों को बचाओ।
प्रकृति का संतुलन, बनाए रखने का प्रयास करो।
वन्य जीवों की पुकार, सुन लो हमारी बात।
प्रकृति का संरक्षण, करो, नहीं तो होगा विनाश।
प्रकृति का दोहन, बंद करो अब।
वन्य जीवों की रक्षा, करो, यही है सबका कर्तव्य।
वन्य जीवों की पुकार, मानव से क्या कह रहे।
हमें बचाओ, हमें संरक्षित करो, यही हमारा कहना है।
स्वरचित
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार