तुझ सा नहीं देखा मैंने कोई,
तू उल्फ़त -ए-ज़हां है।
तेरी मासूमियत का अंदाज़ा नहीं कोई,
तू दिलवालों की चाहत है।
तेरी अदाएं माशा अल्लाह
क्या खूब जलवा बिखेरा हैं।
तेरी निगाहें प्यार भरी,
क्या इन्ही ने हमको घेरा है।
तू हुस्न -ए- ज़हां मोहतरमा,
तेरी काबिलियत कोई अफ़वाह नहीं।
तू मलिका -ए- आदिल,
तेरी मोहब्बत कोई नाचीज़ नहीं।
तेरा दिल फूलों सा
तू नूर - ए- ज़हां है।
तेरे होठ खिले खिले,
तेरा रवैया बड़ा मस्ताना है।
तेरी शरारतें दिल को छू जाए,
तू कैसी दीवानी है।
तेरी तहजीब सुभानल्लाह,
क्या खूब इनमें छिपी कहानी है।
तुझ सा नहीं देखा मैंने कोई,
तू प्यार भरा एक नगमा है।
तेरी अच्छाइयों का मोल नहीं कोई,
तू अनमोल हमारी यारी है।
~रीना कुमारी प्रजापत