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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

वन्दे मातरम

1
फर्ज भी खुदा की इबादत है सभी कहते हैं
दिल पे लिखी हुई इबारत है सभी कहते हैं
जो भी देता है यहाँ जान मुल्क की खातिर
वो ही बस सच्ची शहादत है सभी कहते हैं....
2
वो मारे मारे फिर रहे हैं लोग
आज डर से सिहर रहे हैं लोग
हमसे हजार साल लड़ने वाले
भूख से खुद तड़प रहे हैं लोग।
3
कौम की तकदीर अच्छी है बहुत
अपनी हर तदवीर अच्छी है बहुत
दुनिया में फहरा रहा है ये तिरंगा
मुल्क की तस्वीर अच्छी है बहुत।
4
हम यह सारी शान दे देंगे
हम यह सारी बान दे देंगे
तुम्हारी आन पे मेरे वतन
हम हंसकर ये जान दे देंगे।
5
जमीन छू ली है आसमान छू लिया है
समंदर जीता है अंतरिक्ष पा लिया है
दुनियां में अपना तिरंगा फहरा रहा है
चांद तारों संग सूरज भी छू लिया है।
6
अपने लहू से लिख गए शहीदी दास्तान है
मर मिटेंगे इसके लिए हमारा हिंदुस्तान है।
7
फहरा रहा है अपना तिरंगा चांद पर देखो जरा
लहरा रहा है अपना तिरंगा चांद पर देखो जरा
थक गई थी सारी दुनिया जिस सिरे को खोज
इठला रहा है अपना तिरंगा चांद पर देखो जरा
शत शत नमन है आपको ए देश के विज्ञानियों
ये गा रहा है अपना तिरंगा चांद पर देखो जरा
8
भारत मां के माथे को करने प्रशस्त ये दिन आया है
अपनी आजादी उत्सव पन्द्रह अगस्त फिर आया है

लाल किला भी गूंज रहा है भारत मां के जैकारों से
हर दिशा तिरंगा फहराता आजादी के शुभ नारों से

हर हिंदुस्तानी का सपना साकार बने ये दुहराया है
अपनी आजादी उत्सव पन्द्रह अगस्त फिर आया है

एक बने हम एक रहें चाहे कितने हों अनेक
हम सब भारतवासी हैं गूंजे अब बस यहीं विशेष
दुनिया की ताकत को देखो अहिंसा से हराया है
अपनी आजादी का उत्सव पन्द्रह अगस्त फिर आया है।
हम जो थे अब नहीं रहें हैं हमने अपने पर खोले हैं
आसमान में ऊंचे उड़ते
धरती पर तूफान से चलते
चंद्रयान हैं अपने उड़ते
सीमा पर हैं यान विचरते
अब हम कहां किसी से डरते
दुनियां भर कोविड से मरते
मरहम हमने लगाया है।

दुनिया भर ने खूब सताया
हमने फिर भी धैर्य दिखाया
कभी किसी को नही सताया
किसी जमीं को नही कब्जाया
दिए हमें जख्म भी जिसने
उसको भी हमने अपनाया।

अब ना झुकेंगे अब ना डरेंगे
अपनी रक्षा स्वयं करेंगें
जो भी आंखें दिखलाएगा
उसका काम तमाम करेगें
आओ मिलकर सारे गाएं
वंदे मातरम को दोहराएं
खूब तिरंगा हम फहराएं
लेकिन इतना भूल न जाएं
हमसे भारत हम भारत से
हम भारत की शान बढ़ाएं
जय हिंद जय हिंद गाते जाएं
सबको लेकर कदम बढ़ाएं
बढ़ते जाएं बढ़ते जाएं।

प्रगति की एक नई सुबह
आशा की नई किरण
भारत के स्वर्णिम युग का
नया भरोसा नई मिशाल खुद सबको देने लाया है
अपनी आजादी का उत्सव पन्द्रह अगस्त फिर आया है।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Kapil Kumar said

वन्दे मातरम -  जयहिंद 

Shiv Charan Dass replied

जयहिंद

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह शिवचरन जी,देश भक्ति की इतनी सुन्दर पंक्तियां, बहुत सुंदर रचना जी, भारत माता की जय। वंदेमातरम्! जयहिंद!

Shiv Charan Dass replied

बहुत बहुत आभार

Lekhram Yadav said

बहुत ही खूबसूरत रचना, आपको सादर नमस्कार

Shiv Charan Dass replied

शुक्रिया

सुप्रिया साहू said

वन्दे मातरम्, जय हिंद🇮🇳🙏, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Shiv Charan Dass replied

जय हिन्द आभार

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