मंजिलें अपनी जगह रास्ते अपनी जगह,
कोई साथी साथ न दे चाहते अपनी जगह,मंजिलें,,,,, .....
किसका है कितना करम किसका हैं कितना धर्म
जब ख़ुदा के लिए तू तब ख़ुदा तेरे लिए,
लाख मंजर चाहे आये लाख हो दुश्वारियां,.
हो मुकम्मल हौसला जब आप हो मेरे लिए, मंजिलें,,,,,,, .............
आज के मौजू में सब दौडते अपने लिए,
रोजी रोटी के लिए सब भागते अपनी जगह
आज के हालात में हालात सब बदले हुए,
कर ले बन्दे बंदगी तू खुद ईमान की, मंजिलें ,,,,,,,
सर्वाधिकार अधीन है