सफर में हमसफर पाकर गुरूर का आना।
सिद्दत से महसूस करना होले से भूल जाना।।
जिन्दगी में पलटकर याद आये यदि कभी।
बेतकल्लुफ होकर यादो के संग झूल जाना।।
क्या कहेगा मन का सिकंदर प्रेम में पड़कर।
वफ़ादारी के फेरे में 'उपदेश' तुम खेल जाना।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद