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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

न काटो हमें ( मौन पुकार)

न काटो हमें ( मौन पुकार)
आज फिर कुछ पेड़ कटने लगे
मौत से पहले मौत के घाट उतरने लगे
चीख चीख कर पुकार कर रहे थे
हमें नहीं काटो , हमें नहीं काटो
हम तुम्हारे ख्वाबों के सौंदर्य को और भी निखार देंगे
हमें भी अपने आशियाना का हिस्सा बना लो
पर किसी के कानों तक उनकी आवाज़ नहीं पहुँची
देखते ही देखते सब पेड़ किसी के सपनों की बलि चढ़ गए
खुदगर्ज़ हम !!
हर मुद्दे पर आवाज़ उठाते हैं
पर अपने ही जीवनदाता का जीवन लेते हुए एक पल भी नहीं सोचते ..
वंदना सूद


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह... दिल छू लेने वाली पुकार थी ये।
पेड़ों की चीखें सुनकर भी अगर हम चुप रहें, तो इंसानियत सच में बहरी हो गई है। 🌳💔
प्रकृति की मौन पुकार आदरणीय मम को सादर प्रणाम

वन्दना सूद replied

🙏🙏वास्तविक रचना को शब्दों में ढालने का छोटा सा प्रयास

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

विकास वाद की इस युग पर्यावरण के रक्षण की पीड़ा को एक पेड़ की मौन तड़पन के माध्यम से प्रस्तुत किया है आपने। वाह! प्रेरणा से भरी कविता।

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir 🙏🙏

इक़बाल सिंह “राशा“ said

हर शब्द अंतरात्मा को झकझोर गया…
पेड़ों की मौन पुकार, मानव की मुखर बेरुख़ी पर करारा प्रहार।
“खुदगर्ज़ हम” यही सबसे कटु सच है।
बहुत सुन्दर वन्दना जी

वन्दना सूद replied

जी सही कहा आपने हम खुदगर्ज़ ही हैं

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