थकान मेरे इश्क को कहानी कहे।
जिगर इस मोहब्बत को निशानी कहे।।
जिस्म की भूख होती नही प्यार में।
जिस्मानी रिश्ते इश्क को रूहानी कहे।।
तेरी खातिर परोसे है पकवान रसीले।
मिल बांट करके खाने को जवानी कहे।।
बचा क्या इश्क में जब दिल मिल गए।
ज़माना 'उपदेश' इसी को नादानी कहे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद