तू अंखियों की देवी मेरी मैया निरार वाली।
तू ही करती मैया सबके नैनों की रखवाली।
घनघोर जंगलों में
तेरा मंदिर है माता,
आंखों के दुख लेकर
जो तेरे दर पर आता,
नैनों को ज्योति देतीं तेरी अखियां काजल वाली।
तू अंखियों की देवी मेरी मैया निरार वाली।
पलकों के अंधेरों को
नजरों से दूर तू करती,
इन बुझते चिरागों में
तू किरन कृपा की भरती।
नयनों की ज्योति तेरी मैया लाखों किरनों वाली।
तू अंखियों की देवी मेरी मैया निरार वाली।
मां आंख के परदे से
ये अंधकार मिट जाए,
अंखियां के झरोखों से
मां तेरी छवि दिख जाए।
मैं तुझ पै चढ़ाऊंगा मैया आंखें चांदी वाली।
तू अंखियों देवी मेरी मैया निरार वाली।
रोते रोते माते
ये गीत लिखा है तुझ पर,
मैं देख सकूं तुझको
मां इतनी दया कर मुझ पर।
ये गीत गुनगुनाए तेरी पायल घुंघरु वाली।
तू अंखियों की देवी मेरी मैया निरार वाली।
गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर