सोचा ना था ऐसा कभी,
खुशियाँ उदास होंगी।
गम सीने से लगे होंगे.
वो आस -पास होंगी।
अपने ही दर्द देंगे, अपने ही दर्द सहेंगे।
दिल रोयेगा हमारा, हम खामोश होंगे।
सोचा ना था ऐसा कभी खुशियाँ उदास होंगी।
जिंदगी बोझ बन जाएगी हमारी, जिस्म चलती फिरती लाश होगी।
सोचा ना था ऐसा कभी खुशियाँ उदास होंगी,
जब हमारा डोला उठेगा, उसमें अरमानों की लाश होगी।
आँखों से आंसू बहेँगे, होठों पर मुस्कराहट होगी,
सोचा ना था ऐसा कभी,
जिंदगी इतनी उदास होगी।
गम सीने से लगे होंगे,
खुशियाँ आस -पास होंगी।
सरिता पाठक