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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कुदरत का कैमरा

कुदरत का कैमरा
प्रकृति से सुन्दर कुछ भी नहीं
सुबह-सुबह का दृश्य कुछ ऐसा होता है
उगते हुए सूरज की लालिमा
आसमाँ को दुल्हन की तरह सजाती है
पंछी सूरज की शान्त किरणों का लुफ्त उठाते हैं
उनकी चह-चाहट से सारा वातावरण ख़ुशनुमा हो जाता है
थोड़ी ही देर में सूरज की किरणें बादलों से झाँकने लगती हैं
तब पेड़-पौधे स्वर्ण की तरह चमकने लगते हैं
अदभुत मनोहर सा दृश्य देखने को मिलता है
कुदरत ने खूबसूरत प्रकृति तो बनाई ही
उसे देखने के लिए खूबसूरत कैमरा भी दिया हमारी आँखें
आँखों से खूबसूरत कैमरा कोई नहीं
कुदरत का बनाया यह कैमरा पिक्चर स्टोर नहीं कर सकता पर चित्र बहुत अच्छा खींचता है ॥
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

डॉ कृतिका सिंह said

Bahut sundar vishleshan ankhon ka.

वन्दना सूद replied

Thankyou ma’am 😊

ताज मोहम्मद said

प्रकृति का बहुत ही सुंदर वर्णन। बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।

वन्दना सूद replied

धन्यवाद sir🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

आँखों को कैमरे की संज्ञा देना और प्रकृति की बातें उसपर उगते हुए सूरज की लालिमा - कबसे नहीं देखा यह नज़ारा - लास्ट टाइम जब जल्दी जगा था तब कैमरे[मोबाइल वाले], और प्रकृति वाले दोनों में कैद किया था, उस बात को भी लगभग एक साल होने को आया, सही कहा गया है "जो जागत है सो पावत है, जो सोवत है सो खोवत है"

वन्दना सूद replied

एक बात बताती हूँ जो मेरा अनुभव है एक बार जिसे सूर्योदय से पहले (अमृत वेला ) उठने की आदत पड़ गई उसके लिए प्रकृति स्वयम् मार्गदर्शक बन जाती है 🙏

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