प्रीत की व्यथा के गीत तुम कब गाओगे,
विरह की करुण कथा तुम कब सुनाओगे,
आ भी जाओ न की अब नैन हुए पथरीले,
कब तक यूँ करा के प्रतीक्षा हमें सताओगे,
निहारूँ रस्ता प्रति क्षण, तुम कब आओगे।
मेरा प्रेम है पावन, अधिकार सिर्फ तुम्हारा,
विछोह की बेला में तुम्हारी यादों का सहारा,
शनैः-शनैः उजड़ रहा मेरे मन का मधु वन,
तरस गए कर्ण अब, कब नाम से पुकारोगे,
निहारूँ रस्ता प्रति क्षण, तुम कब आओगे।
प्रतीक्षारत! प्रातः काल से सांध्य बेला तक,
देख रहे पथ तुम्हारा अश्रु भरे नैन एकटक,
पल, क्षण टूट रहे आस, रुकने लगी साँस,
बीत रहा समय निरंतर कब वादा निभाओगे,
निहारूँ रस्ता प्रति क्षण, तुम कब आओगे।
🖊️सुभाष कुमार यादव