कविता : जिंदगी दुख ही दुख है ....
आदमी के लिए खाना चाहिए
खाने के लिए दुख करना पड़ता है
आदमी के लिए घर चाहिए
घर बनाने के लिए दुख करना पड़ता है
आदमी के लिए कपडेलत्ते चाहिए
कपडेलत्ते के लिए दुख करना पड़ता है
आदमी के लिए परिवार चाहिए
परिवार के लिए दुख करना पड़ता है
आदमी के लिए सुख चाहिए
सुख के लिए दुख करना पड़ता है
आदमी के लिए एक नहीं दो नहीं सब चाहिए
वो सभी के लिए दुख करना पड़ता है
इसी लिए जिंदगी सिर्फ एक दुख है
आदमी के जिंदगी में कहां सुख है ?
आदमी के जिंदगी में कहां सुख है.......?