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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तू हीं मेरे पल पल में...

मुस्कुराहटों पर तेरी
दिल निसार हो गया ।
नयनन के तेरे तीर
दिल के पार हो गया ।
पता ना था कि मोहब्बत
क्या चीज़ है
पर तू ने देख तो दिल मेरे
बेकरार हो गया।
शायद इसी बेकरारी
बेताबी बेइंताहाबी
चाह को मोहब्बत कहते हैं।
है इश्क़ का परचम बड़ा हीं ऊंचा
देखने वाले जिसे ताजमहल कहतें हैं।
देखकर तुझे दिल फ्रेश हो जाता है ।
स्फूर्ति चुस्ती दुरुस्ती से भर जाता है।
देख कर तुझे कुछ और देखना नहीं
खूबसूरती को तेरी निरेखना नहीं
बस एक बार जो तुझे देख लिए
अब और किसी ले चाहत नहीं
तू है तो दिल को राहत है
तू हीं मेरी अदावत है।
तू रोम रोम में पल पल में
तू शांति में इस दिल की हलचल में
तू हीं मेरे इस दिल में
तू हीं मेरे पल पल में...




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

डॉ कृतिका सिंह said

Uttam Bahut khoob

रमेश चंद्र said

Waah...👏👏

Bhushan Saahu said

Behatrin 👌👌

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam rachna shrimaan🙏🙏

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