इन्सान ईश्वर के आगे सर जुकाये या ना जुकाये
पर वो देता सबको हे... बस इसमे ऐक खासियत
होती हे. ईमानदारी वफ़ादारी समजदारी जिम्मेदारी
जिसमे भी हो, तो मिला हुवा संभल जाता हे [सवाल
पैसो का या वसीयत का नहीं हे] सुख-शांति और
स्वस्थ जीवन का हे. जो और कही नहीं मीलता
खुद की सोच से जनम लेता हे......
के बी सोपारीवाला