हिसाब दगाबाजी का।।
अब तो मोहब्बत से कितनी गलती हुई है,
अब तो मोहब्बत से कितनी गलती हुई है,
सारे हिसाब में उसने दगा ही लिखा है,
दगाबाजी का ब्याज भी बढ़ता गया,
दगाबाजी का ब्याज भी बढ़ता गया,
मैं मूल भी उसका चुका ना सका,
अब तो मोहब्बत से कितनी गलती हुई है,
सारे हिसाब में उसने दगा ही लिखा है,
माफ करता रहा इश्क़ कर कर के मैं,
माफ करता रहा इश्क़ कर करके मैं,
जिंदा करता गया दिल को मर मर के मैं,
फिर भी अश्क में उसका बहा ना सका,
अब तो मोहब्बत से कितनी गलती हुई है,
सारे हिसाब में उसने दगा ही लिखा है।।
- ललित दाधीच