लाख ढंग खतम किये, उन्हें मनाने में
अगर वो मान जाए, तो बात बने
कइयों जतन गंवा दिए, करीब जाने में
अगर वो जान जाए, तो बात बने
गले का घूंट, ऊपर नीचे होता है
उसकी हसरतें देख कर
अगर वो भान जाए, तो बात बने।
सर्वाधिकार अधीन है
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
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लाख ढंग खतम किये, उन्हें मनाने में
अगर वो मान जाए, तो बात बने
कइयों जतन गंवा दिए, करीब जाने में
अगर वो जान जाए, तो बात बने
गले का घूंट, ऊपर नीचे होता है
उसकी हसरतें देख कर
अगर वो भान जाए, तो बात बने।