चल रहे पगडंडी पर,
निशान कोई बाकी न था।
आया ऐसा तूफान, बन गया शमशान,
कोई बाकी न था।
अकेला खड़ा, इस वीरान में।
कोई बाकी न था।
रह गई यादें ,खुला आसमान ।
कोई बाकी न था।
छा गया अंधेरा, जीने का मकसद।
कोई बाकी न था।
हो अब सवेरा, देखने का ख्याल।
कोई बाकी न था।
तैर आया, सुनहरा चमन फूलों का।
कोई बाकी न था।
फ़ैला दे बांहें, फैसला मौत का।
कोई बाकी न था।